
गुजरात का ऑटोमोबाइल (Automobile) हब बनने का सफर: प्रमुख वजहें और भविष्य के अवसर:

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संक्षेप में:
गुजरात के ऑटोमोबाइल उद्योग ने 2009 में एक नए युग की शुरुआत की, जब टाटा मोटर्स ने अहमदाबाद के पास साणंद में अपना नैनो कार कारखाना स्थापित किया। यह कारखाने ने भारत में कम लागत वाली कार बनाने का सपना साकार किया। इस कारखाने ने गुजरात के ऑटोमोबाइल उद्योग को एक नई दिशा दी और राज्य में बड़े पैमाने पर निवेश को आकर्षित किया।
विस्तृत में:
गुजरात ने ऑटोमोबाइल सेक्टर को एक प्रमुख उद्योग के रूप में विकसित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। 2009 में, टाटा मोटर्स ने साणंद में अपना नैनो प्लांट स्थापित किया। इसके बाद, फोर्ड, सुजुकी, होंडा, और एमजी मोटर्स सहित अन्य प्रमुख ऑटोमोबाइल कंपनियों ने गुजरात में निवेश किया।

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राज्य ने ऑटोमोबाइल सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए कई नीतियों और प्रोत्साहनों की भी घोषणा की है। इनमें कर छूट, भूमि और बुनियादी ढांचे में सब्सिडी, और प्रशिक्षण और अनुसंधान में सहायता शामिल हैं।
इन प्रयासों के परिणामस्वरूप, गुजरात भारत का सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल निर्यातक बन गया है। 2023 में, राज्य ने 8 लाख से अधिक वाहनों का निर्यात किया।

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गुजरात सरकार इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) क्षेत्र में भी निवेश बढ़ा रही है। 2023 में, सरकार ने टाटा समूह के साथ 13,000 करोड़ रुपये के समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसमें ईवी उत्पादन के लिए एक संयंत्र की स्थापना शामिल है।
गुजरात के ऑटोमोबाइल सेक्टर की सफलता राज्य की आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। यह उद्योग नौकरियों का सृजन कर रहा है और राज्य की निर्यात आय में वृद्धि कर रहा है।
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